नई दिल्ली: हरित शहरी परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, दिल्ली सरकार ने दिल्ली ईवी नीति 2.0 पेश की है। इस नीति का लक्ष्य 2027 तक पंजीकृत 95% नए वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाना है। इसके तहत, चरणबद्ध तरीके से सीएनजी ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) से बदला जाएगा।
सरकार ने दिल्ली के बस बेड़े को पूरी तरह इलेक्ट्रिक करने की भी योजना बनाई है, जिससे सार्वजनिक परिवहन को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके। इसके अलावा, सरकार इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया, ई-लाइट कमर्शियल वाहनों और ई-ट्रकों के लिए भी खरीद प्रोत्साहन प्रदान कर रही है, ताकि सभी क्षेत्रों में स्वच्छ वाहनों को अपनाने को बढ़ावा दिया जा सके।
चार्जिंग स्टेशनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की जाएगी। नई इमारतों और सार्वजनिक स्थानों पर चार्जिंग सुविधाओं को अनिवार्य किया जाएगा। साथ ही, रिंग रोड और आउटर रिंग रोड जैसी प्रमुख सड़कों पर फास्ट-चार्जिंग कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे, जिससे ईवी उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा मिलेगी।
परिवहन विभाग के अनुसार, नीति का एक प्रमुख पहलू ईवी अपनाने को वित्तपोषित करने के लिए "राज्य ईवी फंड" का निर्माण करना है। यह फंड ग्रीन लेवी, प्रदूषण उपकर और एग्रीगेटर लाइसेंस फीस से प्राप्त किया जाएगा। सरकार वाणिज्यिक परिवहन के विद्युतीकरण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है और नीति अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियामक उपाय अपनाए जा रहे हैं।
दिल्ली ईवी नीति 2.0 के तहत, ईवी बिक्री, सर्विसिंग और बैटरी प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी जाएगी। यह नीति दिल्ली को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में भारत का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।