शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) इस वर्ष 1,000 पुरानी बसों को बदलने की योजना बना रहा है, जिसमें 600 नई बसों की खरीद के आदेश जारी कर दिए गए हैं। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक रणधीर शर्मा के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में राज्य में 1,500 बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने की योजना थी, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा देशभर में एक लाख बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने के कारण कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए टेंडर जारी किए गए हैं, जिसमें बसों की खरीद के साथ-साथ 10 वर्षों तक उनके रखरखाव का भी प्रावधान किया गया है। प्रत्येक बस की लागत लगभग 1.25 करोड़ रुपये होगी और रखरखाव पर 40 से 45 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। फिलहाल, नाबार्ड की सहायता से 327 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद प्रक्रिया चल रही है, जिनकी आपूर्ति के लिए कंपनियों को आदेश दिए जा रहे हैं।
इसके अलावा, एचआरटीसी 250 डीजल बसें भी खरीद रहा है। साथ ही, 100 टेम्पो ट्रैवलर के ऑर्डर जारी किए गए हैं और 100 और टेम्पो ट्रैवलर खरीदने की योजना बनाई जा रही है। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि टाइप-2 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद प्रक्रिया भी जारी है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इनमें कुछ आवश्यक बदलाव करने की मांग को केंद्र सरकार ने अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय और दुर्गम क्षेत्रों में टेम्पो ट्रैवलर भेजी जाएंगी, जबकि जहां इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा सकती हैं, वहां इन्हें तैनात किया जाएगा और अन्य मार्गों पर डीजल बसों का संचालन होगा।
विभिन्न विभागों में 2,561 मल्टीपर्पज वर्कर्स की नियुक्ति
विधानसभा में विधायक भुवनेश्वर गौड़ के सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों और बोर्डों में 2,561 मल्टीपर्पज वर्कर्स की नियुक्ति की गई है। यह भर्तियां सरकार की विभागीय नीतियों के तहत की गई हैं।
कूड़ा-कचरा प्रबंधन संयंत्र लगाने का हो रहा विरोध
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि पंचायतों में कूड़ा-कचरा प्रबंधन संयंत्र स्थापित करने में सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय लोगों का विरोध है। उन्होंने कहा कि विभाग के पास इस परियोजना के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है, लेकिन जब संयंत्र लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो ग्रामीण इसका विरोध करने लगते हैं। उन्होंने विधायकों से अपील की कि यदि किसी पंचायत में बड़ा प्लांट लगाना हो, तो वे विभाग को सूचित करें, ताकि वहां संयंत्र स्थापित किया जा सके। धर्मशाला में एनजीओ के सहयोग से प्लास्टिक कचरा एकत्र करने का काम चल रहा है और जल्द ही इसे शिमला में भी शुरू किया जाएगा।
अगले वित्त वर्ष में खरीदे जाएंगे 800 ई-व्हीकल
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए कुछ विशेष मशीनें खरीदी गई हैं। इसके तहत पिछले वर्ष 193 ई-व्हीकल खरीदने के लिए टेंडर जारी किए गए थे, और अगले वित्तीय वर्ष में कूड़ा उठाने के लिए 800 ई-व्हीकल खरीदे जाएंगे। उन्होंने बताया कि सॉलिड वेस्ट को जलाने के लिए सीमेंट कंपनियों के साथ एमओयू भी किया गया है।
पर्यटन स्थलों पर कूड़ा निपटान एक गंभीर समस्या
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि कुफरी, कसौली और मनाली जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर कूड़ा प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा कि सॉलिड वेस्ट को अलग-अलग करना सबसे कठिन कार्य है, और यदि कोई नई तकनीक उपलब्ध हो, जिससे इस समस्या का समाधान किया जा सके, तो विभाग उसे अपनाने के लिए तैयार है। साथ ही, स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ पंचायतों को पुरस्कार देने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है।