ऋषिकेश: उत्तराखंड में पर्यावरण प्रेमियों ने एक बार फिर चिपको आंदोलन जैसी मुहिम छेड़ने का ऐलान कर दिया है। भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग के चौड़ीकरण के लिए 3300 पेड़ों की कटाई का विरोध तेज हो गया है। रविवार को बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया।
पर्यावरणीय असंतुलन पर बढ़ती चिंता
ऋषिकेश से भानियावाला के बीच 21 किलोमीटर लंबे सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के तहत 600 करोड़ की इस परियोजना में हजारों पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। पर्यावरणविदों का कहना है कि इस क्षेत्र में पहले से ही वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, भूजल स्तर गिर रहा है और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। लेकिन इन सबको नज़रअंदाज़ कर विकास परियोजनाएं लागू की जा रही हैं।
पहले भी हुआ है विरोध, फिर भड़की चिंगारी
उत्तराखंड में जंगलों को बचाने के लिए पहले भी विरोध होते रहे हैं। 2020 में देहरादून एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 243 हेक्टेयर जंगल काटने की योजना बनी थी, जिसका जनता ने जमकर विरोध किया था। अदालत की दखल के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। अब एक बार फिर लोग पेड़ों को बचाने के लिए एकजुट हो गए हैं।
क्या दोबारा लौटेगा चिपको आंदोलन?
1973 में उत्तराखंड के रैणी गांव से गौरा देवी और सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में शुरू हुए चिपको आंदोलन ने देशभर में पर्यावरण संरक्षण की चेतना जगाई थी। अब सवाल यह है कि क्या इतिहास खुद को दोहराएगा और सरकार इस विरोध को गंभीरता से लेकर विकास के नए पैमाने तय करेगी, या फिर एक बार फिर हरे-भरे जंगल विकास की भेंट चढ़ जाएंगे?