धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज कहा कि उनकी सरकार द्वारा लिए गए 70 प्रतिशत ऋण का उपयोग पिछली भाजपा सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने में किया गया है। इसके चलते राज्य के विकास कार्यों के लिए बहुत कम धनराशि बची है।
मुख्यमंत्री ने बजट पेश करने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि उनकी सरकार ने अब तक कुल 29,046 करोड़ रुपये का ऋण लिया है, जिसमें से केवल 8,693 करोड़ रुपये ही विकास कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सके। बाकी 20,353 करोड़ रुपये का उपयोग ब्याज और कर्ज चुकाने में किया गया।
सुक्खू ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत कड़े नियम लागू किए हैं, जिससे राज्य को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, इसलिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उनकी सरकार ने सभी वर्गों को राहत देने वाला सर्वश्रेष्ठ बजट पेश करने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी बताया कि राजस्व घाटा अनुदान (आरडीजी) पिछले वर्ष के 6,258 करोड़ रुपये से घटकर 3,257 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति और खराब हो सकती है।
सुक्खू ने कहा कि 2023 में मानसून के दौरान हुई तबाही के लिए 9,000 करोड़ रुपये की आपदा राहत राशि का आकलन किया गया था, लेकिन अब तक केंद्र सरकार से यह राशि नहीं मिली है। इसके अलावा, नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत सरकारी कर्मचारियों के 9,000 करोड़ रुपये के अंशदान की भी प्रतीक्षा की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने संसाधन जुटाने के प्रयासों के तहत 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाया है।
संयुक्त पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू करने के सवाल पर सुक्खू ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीतिक चर्चा के बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।