डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी के प्रमुख संत स्वामी सुग्रीवानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब

 



दौलतपुर चौक : उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल डेरा बाबा रुद्रानंद आश्रम नारी (ऊना) में प्रसिद्ध वेदांताचार्य, विद्यालंकार, महान तपोनिष्ठ और अखंड धूणे के प्रहरी श्रीश्री 1008 स्वामी सुग्रीवानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने पर पूरा संत समाज, श्रद्धालु और अनुयायियों में गहरा शोक व्याप्त है। स्वामी सुग्रीवानंद महाराज के निधन के बाद आश्रम में श्रद्धांजलि देने के लिए देशभर से संत महापुरुष, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक हस्तियां लगातार पहुंच रही हैं।  

शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर ने आश्रम पहुंचकर स्वामी सुग्रीवानंद महाराज के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस दौरान अनुराग ठाकुर ने कहा कि स्वामी सुग्रीवानंद जी का देहावसान केवल संत समाज के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने तप, साधना और आध्यात्मिक ज्ञान से लाखों लोगों को जीवन का मार्गदर्शन दिया। उनकी शिक्षाएं सदैव समाज को धर्म, सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि गुरुदेव के आशीर्वाद से समाज को हमेशा आध्यात्मिक प्रकाश मिलता रहेगा।  

इस अवसर पर अनुराग ठाकुर के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कंवर, पूर्व विधायक बलबीर चौधरी, जिला अध्यक्ष शाम मिन्हास, सुमीत शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी आश्रम पहुंचकर गुरु महाराज के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए। पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि स्वामी सुग्रीवानंद जी केवल संत नहीं, बल्कि एक युग प्रवर्तक थे। उन्होंने अपने ज्ञान, सेवा और तप से समाज के हर वर्ग को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके द्वारा आश्रम में चलाए जा रहे अटूट लंगर ने पूरे हिमाचल में यह कहावत चरितार्थ कर दी कि "बाबे रुद्रु दा लंगर कदी खत्म नी हुँदा।"  

पूर्व विधायक बलबीर चौधरी ने कहा कि स्वामी सुग्रीवानंद जी सामाजिक समरसता के प्रतीक थे और उनकी शिक्षाएं हमेशा हमें सत्य, प्रेम और परोपकार का मार्ग दिखाती रहेंगी। जिला अध्यक्ष शाम मिन्हास और सुमीत शर्मा ने भी स्वामी जी के ब्रह्मलीन होने को समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया और कहा कि उनका आध्यात्मिक प्रकाश सदैव समाज को मार्गदर्शन देता रहेगा।  

आश्रम के लक्ष्मी नारायण सभागार में अब भी देशभर से संत, श्रद्धालु और गणमान्य व्यक्ति श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंच रहे हैं। स्वामी सुग्रीवानंद जी के ब्रह्मलीन होने के बावजूद उनकी शिक्षाएं और सेवा समाज के हृदय में हमेशा जीवित रहेंगी।

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