मथुरा-वृंदावन : उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन और ब्रज क्षेत्र में खेली जाने वाली लंगोट वाली होली एक अनोखी और परंपरागत होली है। इसे अखाड़ों और पहलवानों की होली भी कहा जाता है, जहां पहलवान सिर्फ लंगोट पहनकर एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। यह परंपरा कुश्ती और बलशाली संस्कृति से जुड़ी हुई है, जिसमें दांव-पेंच दिखाते हुए होली खेली जाती है। इसे शक्ति, सौहार्द और परंपरा का प्रतीक माना जाता है। मुख्य रूप से मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और ब्रज के अन्य क्षेत्रों में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर इस होली में हाथी, घोड़े और ढोल-नगाड़ों के साथ पारंपरिक आयोजन किए जाते हैं।
यह होली शुद्ध देसी माहौल में खेली जाती है, जहां आधुनिक रंगों की बजाय सिर्फ गुलाल और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इस दौरान पहलवान कुश्ती के दांव-पेंच दिखाते हैं और मस्ती में एक-दूसरे को उठाकर हवा में घुमाते हैं। यह परंपरा भगवान कृष्ण और उनके बाल्यकाल की लीलाओं से प्रेरित है, जिससे यह भक्ति से जुड़ा उत्सव भी बन जाता है। यह शक्ति और परंपरा का अनूठा संगम है, जिसमें आक्रामकता की बजाय मित्रता और सौहार्द देखने को मिलता है। इस अनोखी होली को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों लोग ब्रज क्षेत्र आते हैं।
लंगोट वाली होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि परंपरा, संस्कृति और भाईचारे की पहचान है। अगर आपने अब तक ब्रज की यह अनोखी होली नहीं देखी, तो इसे एक बार जरूर अनुभव करें!