जुन्गा घाटी में बुरांस के फूलों का रंगीन नजारा, पर्यटक ले रहे भरपूर आनंद

  




कूफरी: हिमाचल प्रदेश के जुन्गा क्षेत्र की मुडाघाट, छलंडा, कोटी और कूफरी घाटी इन दिनों बुरांस के लाल और गुलाबी फूलों से सजी हुई है। इस प्राकृतिक सौंदर्य का पर्यटक जमकर आनंद ले रहे हैं। सड़क किनारे रुककर लोग बुरांस के फूलों के साथ फोटो खींच रहे हैं और इसकी खूबसूरती को निहार रहे हैं।  

वैज्ञानिक रूप से ‘रहोडोडेंड्रन’ नाम से पहचाने जाने वाले बुरांस के पेड़ मार्च और अप्रैल में खिलते हैं। यह मुख्य रूप से ठंडी और ढलान वाली जगहों पर उगता है, जहां तापमान 12 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। समुद्र तल से 1500 से 3600 मीटर की ऊंचाई पर पाए जाने वाले इस वृक्ष की पत्तियां मोटी होती हैं और इसके फूल घंटी के आकार के होते हैं। हिमाचल प्रदेश में बुरांस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, और इसके फूलों से अचार, मुरब्बा और जूस बनाया जाता है। कई ग्रामीण लोग इसे बाजार में बेचकर आजीविका भी कमा रहे हैं।  

सांस्कृतिक और औषधीय महत्व के चलते बुरांस का उपयोग कई रूपों में किया जाता है। क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक प्रीतम ठाकुर के अनुसार, वैशाख संक्रांति पर बुरांस के फूलों की माला बनाकर सबसे पहले कुल देवता के मंदिर में चढ़ाने और घरों में लगाने की परंपरा है। इसकी चटनी स्वादिष्ट होती है और लू व नकसीर जैसी समस्याओं से बचाव के लिए अचूक उपाय मानी जाती है। कुछ लोग इसकी पंखुड़ियों को सुखाकर सालभर चटनी और अन्य खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल करते हैं।  

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. विश्वबंधु जोशी का कहना है कि बुरांस के फूल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और कई दवाओं में इनका उपयोग किया जाता है। इनमें विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो वजन को नियंत्रित रखने और कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं। बुरांस के फूलों का शरबत मानसिक शांति देता है, त्वचा रोगों से बचाता है और एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। प्राकृतिक सुंदरता और औषधीय गुणों के कारण बुरांस हिमाचल की जैव विविधता और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है।

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