काशी: काशी में चिता भस्म से होली खेलने की परंपरा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। काशी विद्वत कर्मकांड परिषद और अन्य विद्वानों ने इसे अशास्त्रीय बताते हुए कड़ा विरोध जताया है। विद्वानों का कहना है कि श्मशान में बिना कारण जाने को धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है और इसके निवारण के लिए शुद्धिकरण अनुष्ठान आवश्यक होता है। परिषद के अनुसार, यह परंपरा धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है और इसे रोकने की मांग की गई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अंतिम संस्कार स्थल एक शुद्ध स्थान होता है, लेकिन वहां बिना कारण जाने को निषेध माना गया है।
मणिकर्णिका घाट पर वर्षों से चली आ रही यह होली परंपरा मोक्ष की प्रतीक मानी जाती है, लेकिन अब इसे लेकर विद्वानों और संत समाज ने पुनर्विचार की मांग की है। इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन और धर्माचार्यों से चर्चा की जाएगी, साथ ही चिता भस्म से होली खेलने वालों के लिए शुद्धिकरण अनुष्ठान और पिंडदान कराने की योजना बनाई जा रही है।